Ration Card Poshan Yojana 2025 ; भारत सरकार ने खाद्य सुरक्षा की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। नई “जन पोषण केंद्र” पहल के तहत, राशन कार्ड धारकों को अब न केवल अनाज, बल्कि दूध, घी, दालें और विटामिन व खनिजों से भरपूर अन्य खाद्य पदार्थ भी मिलेंगे। यह कदम केवल पेट भरने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि समाज के हर वर्ग को संपूर्ण पोषण सुनिश्चित करने की दिशा में एक सुधार है।
इस योजना में नया क्या है?
- राशन केंद्रों का नया रूप – पारंपरिक राशन की दुकानों को अब “जन पोषण केंद्र” के रूप में विकसित किया जाएगा, जहाँ अनाज, डेयरी उत्पाद, दालें, तेल, मोटा अनाज आदि भी उपलब्ध होंगे।
- न केवल कार्बोहाइड्रेट, बल्कि संपूर्ण पोषण – प्रोटीन, विटामिन, खनिज – की कमी को पूरा करने पर भी योजनाबद्ध ध्यान दिया गया है।
- लाभार्थी वर्ग – गर्भवती महिलाओं, शिशुओं, बच्चों, बुजुर्गों और कुपोषण से पीड़ित लोगों को विशेष लाभ मिलेगा।
प्रमुख लाभ और सामग्री
निम्नलिखित उत्पाद जनता को निश्चित और किफायती कीमतों पर उपलब्ध कराए जाएँगे:
डेयरी उत्पाद – दूध, घी, पनीर, दही
दालें – अरहर, मूंग, मसूर, चना, आदि
मोटे अनाज – बाजरा, ज्वार, नाचनी
तिलहन और तेल – सोयाबीन और सरसों का तेल
स्थानीय जैविक उत्पाद – विशेष रूप से स्थानीय किसानों के उत्पाद
प्रारंभिक कार्यान्वयन
यह योजना मध्य प्रदेश राज्य में शुरू की गई है। शुरुआत में, इंदौर जिले की 30 राशन दुकानों को जन पोषण केंद्रों में परिवर्तित किया गया, जबकि उज्जैन और सागर जिलों में 15-15 दुकानों को शामिल किया गया। आने वाले समय में, इसे राज्य स्तर पर और बाद में अन्य राज्यों में विस्तारित करने की योजना है।
आर्थिक और सामाजिक प्रभाव
स्थानीय डेयरी और दालों की खेती को बढ़ावा मिलेगा।
राशन विक्रेताओं को नए प्रशिक्षण, डिजिटल बैंकिंग और सीएससी सेवाओं के माध्यम से वित्तीय लाभ मिलेगा।
स्थानीय कृषि बाजार, रोजगार और व्यवसाय विकास के अवसर पैदा होंगे।
निगरानी और पारदर्शिता
विशेष निगरानी समितियाँ कालाबाज़ारी पर रोक लगाएँगी और गुणवत्ता सुनिश्चित करेंगी।
पीओएस मशीनों और ऑनलाइन मोबाइल ऐप के माध्यम से डिजिटल ट्रैकिंग, एसएमएस/व्हाट्सएप अपडेट से स्टॉक और सूचनाओं की पारदर्शिता बनी रहेगी।
पोषण और स्वास्थ्य पर प्रभाव
पौष्टिक भोजन के नियमित सेवन से बच्चों में गंभीर कुपोषण, बौनापन और हड्डियाँ जैसी बीमारियाँ कम होंगी।
गर्भवती माताओं को पोषण प्रदान करने से मातृ एवं शिशु मृत्यु दर पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
डेयरी उत्पादों से प्रोटीन और कैल्शियम, दालों से फाइबर, साबुत अनाज से विटामिन बी और खनिज प्राप्त होंगे, जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी।
भविष्य की संभावनाएँ
भविष्य में, इन केंद्रों को स्वास्थ्य जांच सेवा केंद्रों, पोषण परामर्श केंद्रों, किचन गार्डन के लिए बीज सहायता, महिला स्वयं सहायता समूहों के उत्पादों की बिक्री आदि से सुसज्जित किया जा सकता है। इन केंद्रों को ग्रामीण विकास और सामाजिक-आर्थिक समृद्धि के केंद्रों के रूप में विकसित करने की भी योजना है।